स्त्री-एक पहेली

पता नहीं क्या हो गया था उसे, फोन करो तो कोई प्रॉपर जवाब नहीं। हर वक़्त चिड़चिड़ापन। मैं तंग आ गया था उसकी इस हरकत से।

अरे भई अगर मन में कोई बात है, तो उसे शेयर करो…इस तरीके से दूसरे पर खीज उतारने से क्या होगा?

मैंने उसके अन्य जानकारों से बात करी, तो उनका भी एक ही जवाब की उनके साथ भी यही रवैया अपनाया जा रहा है।

आखिर मुझ से रहा नहीं गया, मैंने एक डिटेक्टिव एजेंसी से संपर्क करा और मैंने उन्हें उसकी समस्या बताई।

डिटेक्टिव एजेंसी ने मुझ से पांच दिन का समय मांगा। जैसे तैसे राम राम करके पांच दिन कटे, और आखिर छठवें दिन उनका फोन आया।

उन्होंने मुझे जानकारी दी कि उसने एक जेवेलर को तकरीबन ढाई लाख रुपये का सोने का सामान बेचा है और उसने अपने सेविंग एकाउंट से करीबन इतने ही रुपये किसी “वासु आर्या” के एकाउंट में ट्रांसफर करे हैं।

आखिर यह कौन है “वासु आर्या”?

आखिर उसने मुझको बिना बताए सोने का सामान क्यों बेचा?

अगर रुपयों की जरूरत थी, तो मुझे भी बताया जा सकता था।

और “वासु आर्या” के एकाउंट में इतने रुपये ट्रांसफर करने की क्या जरूरत थी?

यह सारे प्रश्न मेरे दिमाग में उमड़ रहे थे और इनका कोई जवाब मुझे नहीं मिल पा रहा था।

आखिरकार मैंने उससे ही सवाल जवाब करने की ठानी। मेरे द्वारा पूछते ही उसका पारा हाई हो गया और उसने मुझ पर ही उल्टा आरोप लगा दिया कि “मैं कौन होता हूँ उसकी जासूसी करने वाला”….

मैं ठगा सा अपना मुँह वापस लेकर आ गया और सोचा आखिर मुझे क्या जरूरत पड़ी है इस गपड पंचायत में पड़ने की…जिसका पैसा वो जाने और उसका काम जाने। आखिर हर व्यक्ति को अपना आत्म निर्णय लेने की स्वतंत्रता होती है।

एक दिन मैं अपने आफिस में काम निपटा रहा था, तो मेरे केबिन के दरवाजे पर दस्तक हुई। मैंने काम करते दौरान ही कह दिया “come in”…

आते ही आगंतुक ने कहा “बैठने के लिए नहीं कहोगे”!

अरे, यह तो उसी की आवाज थी और उसने मेरी पसंद का लाल रंग का लिबास पहना हुआ था और विदेशी परफ्यूम की भीनी भीनी सी खुशबू आ रही थी।

पास आकर मेरे कानों में फुसफुसाई “हैप्पी बर्थडे जानू”!! और मेरी आँखें बंद करके मेरी उंगली में “solitere” की रिंग पहना दी!!

मैं भौंचका सा कभी उसे तो कभी रिंग को देख रहा था। आखिर थूक निगलते हुए मैंने उससे पूछा क्या इसी लिए तुमने “वासु आर्या” को रुपये भेजे थे?

उसने अदा से खिलखिलाते हुए कहा कि “तुम क्या समझ रहे थे कि मैं तुम्हारी बेचैनी से वाकिफ नहीं थी, मुझे अपने जानू को सरप्राइज गिफ्ट देना था इसीलिए मैं इतने दिन से ऐसा माहौल क्रिएट कर रही थी”!!

मैंने उसे बाहों में भरते हुए कहा कि अब तो ऐसा सरप्राइज दे दिया आगे से तो तुम्हारे ऐसे सरप्राइज मेरी जान ले लेंगे, मालूम है तुम्हें की मैं तुम्हारे लिए इतने दिन कितना परेशान रहा हूँ…

उसने अदा के साथ कान पकड़ कर सॉरी कहा और झट से मेरे कंधों पर झूलते हुए मेरे गालों पर एक किस दे दिया…!

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