मैं एक अजीब कशमकश में पड़ गया हूँ| मेरी शादी को आठ साल हो गए हैं, मेरे दो लड़के हैं, एक सात साल का और एक छे साल का|
मैंने अपने घर में एक फैक्ट्री खोली थी| उसको मेरी पत्नी सुपरवाइज करती थी|
पत्नी के व्यवहार में कुछ अनदेखापन और गैरजिम्मेदाराना अंदाज देख कर मैंने अपनी पत्नी से पूंछा, तो उसने कहा की वो फैक्ट्री के एक कामगार से प्यार में पड़ गयी है|
मैंने कुछ सोच कर उससे कहा की, चलो कोई बात नहीं, मैं तुम्हें तलाक दे दूँगा, और उसके बाद तुम उस कामगार से शादी कर लेना|
तो इस बात पर मेरी पत्नी राजी नहीं है और कहती है की मैं आपको तलाक नहीं दूँगी और उसे प्यार करना भी नहीं छोडूँगी|
आप बताइए की मैं क्या करूँ?
हल-
मुझे अपने मास्टर साहब की एक बात याद थी की ‘चूहों का काम तो है सेंध लगाना, यह हमारे ऊपर है की हमने अपनी सुरक्षा के इन्त्मजात कैसे करे हुए है’!
इसी बात को ध्यान में रख, पहले तो मैंने अपने माता-पिता को इस समस्या से अवघत करा और उनके विचार जाने, जिसमें घर को जोड़ कर रखने की बात प्रमुख थी चाहें उसके लिए साम-दंड-भेद-भाव ही क्यों न अपनाने पड़ें|
फिर मैंने सामान समेत पत्नी और बच्चों को अपने माता-पिता के घर भेज दिया| पत्नी ने अपने सब त्रिया-चरित्र खेले, मगर मैं उसे यही यकीन दिलाता रहा की मैं वो फैक्ट्री उस कामगार के नाम कर दूंगा ताकी वो मालिक कहलाये और मेरी पत्नी को वही सुविधाएँ प्रदान कर सके, जो मैं करता हूँ| (पत्नी को नहीं पता चला की मैंने उसका फोन काल-रिकार्डिंग पर लगा दिया है, और मुझे भिनक लग गयी है की उसका प्रेमी, अब मालिक बनने के विचार से फूला नहीं समां रहा है)
बच्चों को नए स्कूल में डाल दिया, जहाँ से वो दोपहर दो बजे तक आ जाते थे और अब पत्नी को ही उनका ग्रहकार्य करवाना पड़ता था| (इससे पहले वाले स्कूल से बच्चे शाम को लगभग 6:00 घर आते थे, जिसके कारण मेरी पत्नी को खाली वक्त काफी मिल जाता था)
पत्नी के हाथ में कोई भी रुपया-पैसा देना बंद कर दिया और बहला-पुसला कर उसके पास से सब रूपये और गहने अपने संगरक्षण में ले लिए| (उसने नानाकुर करी तो उससे कह दिया की फिर मैं फेक्ट्री तेरे प्रेमी के नाम नहीं करूँगा)
अब उसके प्रेमी के घर पर अपना वकील मित्र और परिजन लेकर सुबह 5 बजे ही पहुँच गया, उसके दरवाजा खोलते ही उसकी खूब लात-घूंसों से धुनाई करी और उसे मेरे वकील मित्र ने बता दिया की हमने उसके विरुद्ध I.P.C की धारा 498 के तहत तहरीर दे दी है, जिसमें किसी की पत्नी के साथ अवैध सम्बन्ध बनाना गैरकानूनी होता है और अब थोड़ी देर में ही पुलिस उसे गिरफ्तार करने आती होगी|
इस तरह के काम करने वाले व्यक्तियों के पैर बड़े कच्चे होते हैं, मेरी बात सुन कर उसके होश फाख्ता हो गए और फेक्ट्री मालिक बनने के ख़्वाब धराशायी हो गए|
वो गिडगिडाने लगा, तो उससे कहा की तहरीर इस शर्त पर वापस लूँगा, अगर वो स्टाम्प पेपर पर लिख कर दे की “वो मेरी पत्नी को भिन्न-भिन्न तरीके से परेशान कर-कर ब्लेकमेल कर रहा था, और अब वायदा करता है की आईन्दा वो ऐसा नहीं करेगा”|
मसौदा तो मेरे वकील मित्र स्टाम्प पेपर पर तैयार करके ले गए थे ही, उस पर उसके दस्तखत और अंगूठा निशानी ली और साथ में उसके घर में मौजूद सब व्यक्तियों के भी हस्ताक्षर, गवाह के रूप में करवा लिए|
घर पर आकर बीवी से कहा की एक से तो निपट आया, अब तू बता तेरे से कैसे निपटूं| तेरे प्रेमी का तो टिकिट कटवा दिया, तेरे को तलाक दूंगा नहीं, घर पर काम-काज करने को कोई सहायक रखूँगा नहीं, और वापस अपने घर जाऊँगा नहीं, तुझे यहीं मम्मी-पापा के साथ रहना पड़ेगा और मैं यहाँ आया नहीं करूँगा, क्योंकि तू तो मेरे मन से उतर गयी|
इस तरह के प्रेम संबंधों में, प्रेम का बुखार, दूध में आये उफान की तरह होता है! धीरे-धीरे, प्रभु की कृपा से जीवन की पटरी पर से उतरी हुई ट्रेन वापस पटरी पर आ गयी और….
अच्छी कहानी है लेकिन आज के समय अंत इतना सुखद होता नहीं है।
शानदार आर्टिकल
Good going Atul.
Keep writing.