क्यों लिखे थे वो प्यार भरे खत, जब
होना था रुखसत,
क्यों तोड़ दिया वो वादा, जब साथ
जीने-मरने का किया था इरादा,
क्यों चलाई प्यार की पुरवाई, जब ओढ़
के रखनी थी रुसवाई,
क्यों दिखलाया वो सुनहेरा सपना, जब
माना नहीं था कभी अपना,
क्यों बन गए पत्थरदिल और रिश्ता लगने लगा बोझिल,
हर एक ‘क्यों’ का उत्तर पाने को ना जाने क्यों हर वक्त रहता है दिल
बहुत बैचैन,
पता नहीं ना जाने क्यों भर आते हैं तुम्हारे संग
बिताए पलों को याद करके यह बाबरे नैन!!
उर्मिला का दर्द….
मर्यादा पुरुषोतम रामचन्द्रजी, सीता मैया और अनुज लक्ष्मणजी के साथ चौदह साल का वनवास काट कर, वापस अयोध्या नगरी में […]
Previous Article*.♥….♥.*° जी चाहता है °*.♥….♥.*
°*.♥….♥.*° जी चाहता है °*.♥….♥.*° एक गुनाह कर जाने को जी चाहता है, तुमको बाँहों में ले-लेने को जी चाहता […]
Next Article