नजर से नजर को नज़रों ही नज़रों में सलाम आ रहे हैं,
मगर क्या करें हम, हम पर तो बेवफा होने के इलज़ाम आ रहे हैं !
नजरों ने नजरों की भाषा में, नजरों से ना जाने ऐसा क्या कह दिया,
नजरें, नजरों की बात समझ गयीं, पर हम नज़रों की बात समझ ना सके!
कभी इतने नादान नहीं थे, की किसी की बात को कभी समझ ना सके ,
पर नज़रों की आपस में नज़रों से करी गयी नजरों ही नजरों में बात ने बेबस कर दिया!