एक गुनाह कर जाने को जी चाहता है, तुमको बाँहों में ले-लेने को जी चाहता है, एक बार फिर से […]
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नजर से नजर को नज़रों ही नज़रों में सलाम आ रहे हैं
नजर से नजर को नज़रों ही नज़रों में सलाम आ रहे हैं, मगर क्या करें हम, हम पर तो बेवफा […]
एक गुनाह कर जाने को जी चाहता है, तुमको बाँहों में ले-लेने को जी चाहता है, एक बार फिर से […]
नजर से नजर को नज़रों ही नज़रों में सलाम आ रहे हैं, मगर क्या करें हम, हम पर तो बेवफा […]